एक संत ने श्रद्धालु का संकट हरने के लिए मिसाल कायम करते हुए दान में मिली 27 बीघा जमीन सौंप दी। इसकी कीमत 10 करोड़ रुपए से अधिक है।
वर्ष 2004 में राजकोट के रसिकलाल एंड कंपनी के मुखिया ने सासण की 27 बीघा जमीन इंद्रभारती बापू को दान की थी। इस जमीन पर बापू ने आश्रम और बाग-बागीचा विकसित किया। आश्रम साधु-संतों का बसेरा बन गया। आज यहां 400 से ज्यादा आम के पेड़ हैं। लेकिन वर्ष 2006 में रसिकलाल एंड कंपनी के मुखिया परिवार को व्यापार में घाटा होने लगा। वक्त की ऐसी मार पड़ी कि कर्ज हो गया। इसे उतारने के लिए परिवार ने संपत्तियां बेच दी। भक्त के इस संकट की भनक बापू को लगी।
उन्होंने श्रावण महीने के अंतिम दिनों में दान की गई जमीन पर ही लोकसंगीत कार्यक्रम आयोजित करवाया। बापू ने माइक थामा और बोले- 2007 में इस भूमि पर मैंने अनुष्ठान किया था। रसिकलाल एंड कंपनी के मुखिया परिवार ने ये जमीन मुझे दान में सौंपी थी। इनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए इस जमीन को मैं इस दाता परिवार को ही एक शिष्यभाई के रूप में वापस लौटाता हूं।